प्रायश्चित निवारण भी इस दिन किया जाता गौमूत्र गोबर गायका घी, दहि, दुध पंचगण्य से स्नान कराया जाता है हमें स्नान, मधु स्नान, भस्मी, मृतिका, सर्वोषधी स्नान गंगाजल, धृत, चन्दन इत्र स्नान, धान्य, फलों के रस का स्नान भी मंत्रों के द्वारा किया जाता है तथा सभी तीर्थों के जल से इस दिन स्नान करने का बडा महत्व है पहले केवल राजा लोग ही इसका पालन करते थे तथा शरकरा स्नान इक्षु रस के अभाव में किया जाता था।